Wednesday, October 16, 2013

अपने से ईर्ष्या नहीं होती

 


मैं उन लोगों को जानता था
जो सब कछ जानते थे
मुझे उनसे ईर्ष्या होती थी ।

मैं उन लोगों को जानता था
जो कभी ग़लतियाँ नहीं करते थे
मुझे उनसे ईर्ष्या होती थी ।

मैं उन लोगों को जानता था
जिनके पास हमेशा सिर छिपाने के लिए जगह होती थी
मुझे उनसे ईर्ष्या होती थी ।

मैं उन लोगों को जानता था
जो अपनी प्रेमिकाओं को लम्बी-लम्बी चिट्ठियाँ लिखा करते थे
मुझे उनसे ईर्ष्या होती थी ।

अब मुझे पहले से अधिक जानकारी है,
और ग़लतियाँ भी पहले से कम करता हूँ,
रहने के लिए ठिकाना भी है,
प्रेमिकाओं को लम्बी-लम्बी चिट्ठियाँ भी भेजता हूँ,

पर मुझे अपने से ईर्ष्या नहीं होती ।

--  येव्गेनी इवानोविच स्कूरो उर्फ मक्सीम तांक

रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह
(साभार कविता कोश से)