मैं उन लोगों को जानता था
जो सब कछ जानते थे
मुझे उनसे ईर्ष्या होती थी ।
मैं उन लोगों को जानता था
जो कभी ग़लतियाँ नहीं करते थे
मुझे उनसे ईर्ष्या होती थी ।
मैं उन लोगों को जानता था
जिनके पास हमेशा सिर छिपाने के लिए जगह होती थी
मुझे उनसे ईर्ष्या होती थी ।
मैं उन लोगों को जानता था
जो अपनी प्रेमिकाओं को लम्बी-लम्बी चिट्ठियाँ लिखा करते थे
मुझे उनसे ईर्ष्या होती थी ।
अब मुझे पहले से अधिक जानकारी है,
और ग़लतियाँ भी पहले से कम करता हूँ,
रहने के लिए ठिकाना भी है,
प्रेमिकाओं को लम्बी-लम्बी चिट्ठियाँ भी भेजता हूँ,
पर मुझे अपने से ईर्ष्या नहीं होती ।
-- येव्गेनी इवानोविच स्कूरो उर्फ मक्सीम तांक
रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह
(साभार कविता कोश से)
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