Sunday, January 5, 2014

आवाज़ का पुल



      
कहीं दूर देश में एक सुनहरे बालों, गहरी आँखों और सुंदर गुलाबी रंगत लिए एक लड़की हर शाम एक जंगल में प्रेम की पुकार भरे गीत गाया करती थी! उसकी गहरी आँखों में एक अजीब सी उदासी थी और वह नदी किनारे बैठकर दूर क्षितिज को निहारा करती थी! उसके सतरंगी फ्रॉक सा रंग जब दूर क्षितिज की तलहटी में किसी अनगढ़ चितेरे की कूँची से निकले इंद्रधनुष सा फैलने लगता तो लड़की के उदास स्वर आसमान में एक जाल सा बुनने लगते! कहते हैं उसकी स्वरलहरियाँ धीरे-धीरे नदी पर छाए एक पुल में बदल जाती थीं! एक दिन उसी पुल के रास्ते एक राजकुमार आवाज़ के जादू में घिरा खिंचा चला आया! लड़की की तलाश पूरी हुई! इसके बाद शाम कभी इतनी उदास नहीं हुई! हर रोज़ उसी पुल के रास्ते राजकुमार लड़की की ओर खिंचा आता और सुबह उसी आवाज़ के पुल से लौट जाता! एक दिन नदी में गहरा तूफान था, आज लड़की का मन गाने का बिलकुल नहीं था! उस पार खड़े राजकुमार से वह लौट जाने को कहना चाहती थी किन्तु प्रेम बेड़ियाँ बना दोनों को एक दूसरे से जुड़ा रहने से रोक रहा था! लड़की ने गाना शुरू किया, पुल बना और राजकुमार मुस्कुराते हुए आहिस्ता आहिस्ता अपनी प्रेयसी की ओर बढ़ रहा था! तभी एक साँप ने लड़की के पैर को डस लिया, लड़की फिर भी गाती रही, उसकी उदास आँखें धीमे धीमे बंद हो रही थी, आवाज़ मद्धम हो चली थी, पुल डगमगाने लगा था, पर वो गाती रही! पर इससे पहले कि उसका प्यार उसकी बाहों में होता, वह गहरी नींद के आगोश में खो गयी और पुल नदी के तूफान की गहराइयों में समा गया! कहते हैं आज भी उस जंगल में हर शाम उदास गीतों से नदी पर एक अदृश्य पुल बनता है और नदी के भंवर में डूब जाता है, उसी के साथ ही गीत भी बंद हो जाता है! शाम अब ज्यादा, बहुत ज्यादा उदास है!

1 comment:

  1. बहुत ही मार्मिक, दिल को हिला देने वाली रचना...साधुवाद;-))
    सारिका मुकेश
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