Tuesday, January 20, 2015

मजनूं का टीला से जगमोहन साहनी - 2


 जगमोहन साहनी फेसबुक पर काफी सक्रिय हैं!  वे दिल्ली में रहते हैं और व्यवसाय करते हैं!  फ़िल्मी दुनिया और संगीत के दीवाने हैं!  संभव है रेडियो पर फरमाइशी  गीतों के कार्यक्रम में आपने कई बार सुना  हो "…और मजनूं का टीला से जगमोहन साहनी"!    पुराने फ़िल्मी रोचक  किस्सों में उनकी दिलचस्पी उन्हें और बहुत से पाठकों को जोड़ती है!  इन दिनों साहनी जी 92.7 बिग ऍफ़ एम (कार्यक्रम : सुहाना सफर विद अन्नू कपूर) पर सुनाये जाने वाले किस्सों- कहानियों को फेसबुक पर प्रस्तुत कर रहे हैं!  ऍफ़ एम से नोट कर उन्हें टाइप करने और फिर पोस्ट से सम्बंधित तस्वीरें ढूंढकर लगाने में कितना भी वक़्त लगे पर जगमोहन जी ये रोचक तथ्य परोसने में खासी ख़ुशी महसूस करते हैं!  ऐसे ही कुछ किस्से स्वयंसिद्धा पर भी लगाने जा रही हूँ!  पढ़िए और जानिए फ़िल्मी दुनिया के छोटे-छोटे, छुपे-जाहिर किस्से!  आज का किस्सा ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी  के जीवन से जुड़ा है.……




ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी की आखिरी ट्रेजेडी

1972 में मीना कुमारी की हालत बहुत ही खराब हो चुकी थी!  ज्यादा शराब पीने की आदत से मीना कुमारी जी का लीवर खराब हो चुका था!  उनका इलाज घर पर ही डा.शाह की देखरेख में चल रहा था!  डॉ शाह उन्हें रोज घर पर देखने आते थे!  हाथ- पैरो में सूजन की वजह से वह बैड से उठ भी नहीं पाती थी!  दिनों-दिन उनकी हालत खराब होती जा रही थी उनकी यह हालत देखकर डॉ शाह ने उन्हें हास्पिटल में  दाखिल करने की सलाह दी!  डा. शाह की बात मानते हुए मीना कुमारी की दोनों बहनों ने उन्हें हॉस्पिटल ले जाने का इंतजाम शुरू कर दिया!  




मीना कुमारी को अंदेशा था कि हॉस्पिटल के खर्चे के लिए घर मे पैसे नहीं होंगे!  उन्होंने अपनी बड़ी बहन खुर्शीद से पूछा कि "कुछ बचा है?"   खुर्शीद बोली,  "सिर्फ सौ रुपए है!"   बहन ने कहा कि कमाल अमरोही से पैसे ले लेते हैं!  इस पर मीना कुमारी ने साफ मना कर दिया और बोलीं,  "निर्माता निर्देशक प्रेम जी को फोन करो!  मैंने  उनकी एक फिल्म में काम किया था!  उसका कुछ पैसा बकाया है!"   रकम तकरीबन दस हजार रुपये थी! जो प्रेम जी तुरंत लौटा दिए!  मीना कुमारी  को अंदेशा था कि वह अब हॉस्पिटल से लौटेगी नहीं  इसलिए हॉस्पिटल जाने से पहले उन्होंने सबको अलविदा कहा और अपने मालाबार हिल के घर से निकल पड़ी एलिजाबेथ नर्सिग होम में भर्ती होने के लिए!


काफी मुश्किलें, दर्द और तकलीफों के बाद 31 मार्च सन 1972 को मीना कुमारी इस दुनिया से रुखसत हो गई! उनके आखिरी समय में उनकी दोनों बहनों खुर्शीद, मधु  के अलावा उनके पति कमाल अमरोही, गुलजार, नादिरा, सायरा बानो, श्यामा मौजूद थीं!  नर्सिग होम में ही कमाल अमरोही और मीना कुमारी की बहनों में  बहस छिड गई कि उन्हें कहाँ दफनाया जाए!  बहनें  कहने लगी कि मीना कुमारी को बांद्रा के सुन्नी कब्रिस्तान मे दफनाया जाए जहाँ उनके मां-बाबूजी को दफनाया गया था!  इधर कमाल अमरोही कह रहे थे कि मीना कुमारी ने मुझसे कहा था कि उन्हें अमरोहा में दफनाया जाए! 


और असली ड्रामा तो तब हुआ जब नर्सिग होम वालों ने डेडबाडी देने से इनकार कर दिया!  क्यों?  क्योंकि उनका तीन हजार पांच सौ रुपये का बिल बकाया था! मीना कुमारी की बायोग्राफी में इस घटना का जिक्र करते हुए राइटर ने लिखा है कि  अचरज की बात यह है कि इतने सारे लोग मौजूद होने के बावजूद किसी ने इस बिल को देने की जहमत नहीं उठाई!  बाद में मीना कुमारी जी का इलाज कर रहे डॉक्टर शाह ने अपनी पत्नी को फोन किया और कहा कि आप फौरन रकम लेकर यहां पहुंचो!  तब जाकर मीना कुमारी  का पार्थिव शरीर नर्सिंग  होम से घर लाया गया और आखिरी रस्मों  को पूरा कर, ना तो बांद्रा के कब्रिस्तान और ना ही अमरोहा बल्कि इस महान अदाकारा को मुंबई के मडगांव के रहमत बाग के शिया कब्रिस्तान मे दफनाया गया !

 
"तुम क्या करोगे सुन कर मेरी कहानी,  बेनूर जिदंगी के किस्से है फीके फीके!"
 

तो दोस्तों यह थी महान अदाकारा मीना कुमारी जी आखिरी दिनों की मार्मिक कहानी, आपको कैसी लगी अपनी राय देना ना भूलना---


(सौजन्य :- 92.7 बिग F.M. सुहाना सफर विद अन्नू कपूर ) 

---जगमोहन साहनी 
मजनूं का टीला 


(चित्र सौजन्य : जगमोहन साहनी)

1 comment:

  1. बहुत बढियां सफर ये जारी रहे, शुभकामनाएं !

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