अभी कुछ दिन पूर्व ही सेतु प्रकाशन से प्रकाशित वरिष्ठ मराठी कवयित्री आसावरी काकड़े का हिंदी कविताओं का संग्रह "इसीलिए शायद" मुझे डाक से मिला! इन सुन्दर सहज कविताओं के द्वारा दुनिया को एक अनुभवी स्त्री की नज़र देखने का अवसर मिला! दो कवितायें यहाँ आप लोगों के लिए संजो रही हूँ।
वह औरत
सहमी हुई
वह औरत
रास्ता लांघ रही है…
दोनों हाथों से
उसने अपने
दो बच्चों को
कसकर पकड़ा है
यातायात में
फंसी है वह
भर आई है उसकी आँखें
कुछ अलग ही
दिख रहा है
उसके चेहरे पर
छाया हुआ भय!
एक संदिग्धता का भाव
मिला हुआ है उस में!
शायद वह समझ नहीं
कि उसे
किससे डरना है
मृत्यु से?
या जीवन से?
कुछ क्षणों के लिए
कुछ क्षणों के लिए
मैं भूल जाना चाहती हूँ
अपना आत्मचरित्र,
अपने देश की वास्तविकता
और
इस पृथ्वी के भविष्य की चिंता
मैं भूल जाना चाहती हूँ
कंप्यूटर युग की
इस भयंकर गति को
जो मनुष्य को
अपने साथ
घसीटती ले जा रही है.…
सिर्फ कुछ क्षणों के लिए
मैं भूल जाना चाहती हूँ
यह भीड़ … प्रदूषण … गन्दगी.... हवस
फैलती हुई आग
हिंसा की
और उदासी का
बढ़ता हुआ अँधेरा …
मुझे याद करनी है सिर्फ
गहरे एकांत में
विश्वकवि की एक कविता
जिसमें
ढलते हुए सूरज को
आश्वस्त करती है
एक नन्ही-सी ज्योति
कि सूरज की अनुपस्थिति में
रात भर
रोशनी फैलाती हुई
वह जलती रहेगी ....
मुझे
सिर्फ
इतनी ही याद
ताज़ा करनी है
कुछ क्षणों के लिए
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परिचय
आसावरी काकड़े
बीकॉम, एम ए (मराठी) एम ए (तत्वज्ञान)
प्रकाशित कविता संग्रह
मराठी - (7) आरसा, आकाश, लाहो, मी एक दर्शनबिंदु, रहाटाला, पुन्हा गति दिलीय मी, स्त्री असण्याचा अर्थ और उत्तरार्ध
हिंदी (2) - मौन क्षणों का अनुवाद और इसीलिए शायद
अनुवाद - मेरे हिस्से की यात्रा (खुद की मराठी कविताओं का हिंदी अनुवाद) और बोल माधवी (चंद्रप्रकाश देवल जी के हिंदी कविता संग्रह 'बोलो माधवी' का मराठी अनुवाद)
बालगीत संग्रह - (4) टिक टॉक ट्रिंग, अनु मनु शिरू, जंगल जंगल जंगलात काय? (इसाप गाणी) और भिगोन्या भिंग
बीकॉम, एम ए (मराठी) एम ए (तत्वज्ञान)
प्रकाशित कविता संग्रह
मराठी - (7) आरसा, आकाश, लाहो, मी एक दर्शनबिंदु, रहाटाला, पुन्हा गति दिलीय मी, स्त्री असण्याचा अर्थ और उत्तरार्ध
हिंदी (2) - मौन क्षणों का अनुवाद और इसीलिए शायद
अनुवाद - मेरे हिस्से की यात्रा (खुद की मराठी कविताओं का हिंदी अनुवाद) और बोल माधवी (चंद्रप्रकाश देवल जी के हिंदी कविता संग्रह 'बोलो माधवी' का मराठी अनुवाद)
बालगीत संग्रह - (4) टिक टॉक ट्रिंग, अनु मनु शिरू, जंगल जंगल जंगलात काय? (इसाप गाणी) और भिगोन्या भिंग
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