Sunday, February 8, 2015

मेरी पसंद - अरुण कमल की कविता










उत्सव


देखो हत्यारों को मिलता राजपाट सम्मान...
जिनके मुँह में कौर मांस का उनको मगही पान

प्राइवेट बंदूकों में अब है सरकारी गोली
गली-गली फगुआ गाती है हत्यारों की टोली
देखो घेरा बाँध खड़े हैं जमींदार के गुण्डे
उनके कंधे हाथ धरे नेता बनिया मुछमुंडे
गाँव-गाँव दौड़ाते घोड़े उड़ा रहें हैं धूर
नक्सल कह-कह काटे जाते संग्रामी मजदूर
दिन दुपहर चलती है गोली रात कहीं पर धावा
धधक रहा है प्रान्त समूचा ज्यों कुम्हार का आवा
हत्या-हत्या केवल हत्या-हत्या का ही राज
अघा गए जो मांस चबाते फेंक रहें हैं गाज

प्रजातन्त्र का महामहोत्सव छप्पन विध पकवान
जिनके मुँह में कौर मांस का उनको मगही पान ।

--- अरुण कमल

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