Thursday, February 26, 2015

पंखुरी सिन्हा की कवितायें






पंखुरी सिन्हा इन दिनों खूब सक्रिय हैं!  वे लगातार लिख रही हैं और केवल लेखन ही नहीं बल्कि  लेखन से जुडी अन्य गतिविधियों में भी अपनी  उल्लेखनीय उपस्थिति को बनाए हुए हैं!  आज स्वयंसिद्धा के पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं पंखुरी सिन्हा की कुछ कवितायें जो कि एक जागरूक कवि के गहन मानसिक विमर्श और आंतरिक संघर्ष से उपजी अनुभूतियाँ हैं जो विपरीत परिस्थितियों में अपना अंतर्विरोध बार-बार दर्ज कराती हैं........






(1)
शहर की धूल

अनदेखे फूलों में हम ढूंढते हैं
अपना प्रेमी
उठाने के बाद कुदाल, खुरपी, हंसिया भी
संभालने के बाद वह बागडोर
जो सत्ता ने छोड़ रखी है
मचाने के बाद वृक्षारोपण का हल्ला
कि लगाये जाएँ सड़क किनारे
नीम और पलाश
गुलमोहर और अमलतास
मेरी स्मृतियों में नहीं था
यह शहर इतना धूल भरा
लेकिन फूल कहते
देखी जाती है केवल
मेरी बातों में रंगीनी
जो बाढ़ ले आने, डुबोने
वाली बारिश में भी नहीं धुली
उस गर्त और गर्द को कैसे धो पायेगा
कोई भी पानी? कहीं का भी पानी?
जबकि यशस्वी हैं नदियां
बहुत पास
मनस्वी हैं नदियाँ
बहुत पास
और नदियों के नामों में अंचल के किस्से
कि आँचल के किस्से
फल्गू पर शास्त्रार्थ है
विमर्श भी
और नून नदी के किनारे
नहीं तोडा गांधी ने नमक कानून
जबकि प्रतीकात्मक होता है
सत्ता की खिलाफत का अस्त्र
लेकिन समुद्र तट से बहुत दूर के इस शहर में
जहाँ सैलानियों के वाहनो की भी धूल नहीं आती
वहां पेड़ों को जड़ से उखाड़ देने के बाद की
आवारा, बंजर धूल
कब बैठ जाएगी
मिटटी की एक परत बनकर?



(2)
शहर को परिभाषित करना

शहर को परिभाषित करना
सारे हादसों से
न मुनासिब
न जायज़
बिल्कुल सही दिखती है
ज़िन्दगी हमारी
बैठक खानो की बातों में
कहीं भी नहीं रिस रहा है
कुछ भी नहीं
न वज़ूद, न बर्तन
न फ्रिज तक पहुँचने वाले
बिजली के तार में
कोई गड़बड़ी है
न बाथरूम का स्विच ढीला है
न पडोसी की दीवार के आर पार
कुछ आ जा रहा है
न इसके साझे के होने से
इस पर टँगी तस्वीरों की मिलकियत को लेकर झगड़ा है
और साथ बैठ जाने पर
अगल बगल
जो बहुत चिकनी और मीठी बातें हैं
उनका वसा
कुछ वैसे ही आक्रमण कर रहा है
ह्रदय के चारो
कपाटो पर
जैसे काँच का बुरादा
मिला दिया गया हो
भोजन में.............










(3)

एक ही समय में

यह एक ही समय में था
कि सूडान से एक नया देश बनाने की बात करते करते
बन गया था दक्षिण सूडान नामक एक देश
और सीरिया में
राजा बदलने के युद्ध ने
तैयार कर दिया था बेघरों का काफिला
यह वही समय था
जब कैनेडियन इमीग्रेशन में फैली अराजकता
भ्रष्टाचार का नाम पाने के लिए
मुँह बाए खड़ी थी
बंद ही नहीं होती थी
शरणार्थियों, विद्यार्थियों से पैसे वसूलती
उसकी मुँहफ़टी, नयी झोली
और कैनेडियन अखबार भरे हुए थे
वेश्यावृति को कानूनी दर्ज़ा दिलाने की जिरहों से
और हिन्दुस्तानी वेब पत्रिकाओं में
तेलंगाना नामक एक प्रस्तावित राज्य के
सीमा निर्धारण की बहसें थीं
और हर जगह छिटपुट हिंसा थी
और कभी, कभी छिटपुट से ज़्यादा गंभीर भी
और यह वही समय था
जब उसकी पहचान की
ढेरो हिन्दुस्तानी लड़कियाँ
पढ़ने, बाहर विदेश जा रही थीं
और प्रेम जैसी बातों की अनिश्चितताओं को
संभालने के नाम पर
उभर रही थी
एक नए किस्म की पितृसत्ता
और उसके साथ
एक सर्वथा नयी अराजकता.............


(4)

जीवनशैलियाँ

वो लोग जो बहुत करीबी से
लोगों के बसने
बसाने सम्बन्धी
सभी निर्णयों की पड़ताल
करते रहते हैं
कौन कहाँ रहेगा अब
अब तक कहाँ रहता आया
इन सब बातों के बने होते हैं जिनके सवाल
जिनके आशय
इस किस्म के होते हैं
कि खानाबदोशी तो कोई ज़िन्दगी नहीं
उन्हें दरअसल उत्कट इच्छा होती है
भ्रमण की
नियंत्रण की भी
पर लोगों की ज़िंदगियाँ
न तो पर्यटन स्थल होती हैं
न भूदान को तैयार
ज़मीन का टुकड़ा
और न सरकारी या प्राइवेट किसी किस्म के टेक ओवर को तैयार
कोई जंग लगता कारखाना
वैसे खाना बदोशी कोई मनःस्थिति भी नहीं
और अलग किस्मों की मिटटी
फसल और जलवायु से प्रेम
खानाबदोशी नहीं।


(5)
बग़ावत की ख़ुशबू

अजब खुशबू होती है बग़ावत में
छा जाती है हर कुछ पर
जैसे लिपटे होते हैं
केवड़े के पेड़ पर साँप
जिनके पास स्थायित्व होता है
और अपनी एक ज़िन्दगी भी
उनकी इस खुशबू की तलाश
लगभग पुलिसिया होती है
लगभग ख़ुफ़िया
वो बगावत से बिखरे
टूटे लोगों की ज़िन्दगियों के बुरादों में
उस अथाह संगीत की चिंगारी चुनते फिरते हैं
जो केवल दर्द के सागर तले
उबलती, पकती है...........


****************



परिचय 


पंखुरी सिन्हा
संपर्क----A-204, Prakriti Apartments, Sector 6, Plot no 26, Dwarka, New Delhi 110075
ईमेल----nilirag18@gmail.com
फ़ोन -----9968186375

जन्म--- ---18 जून 1975

शिक्षा ---एम ए, इतिहास, सनी बफैलो, 2008
पी जी डिप्लोमा, पत्रकारिता, S.I.J.C. पुणे, 1998
बी ए, हानर्स, इतिहास, इन्द्रप्रस्थ कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, 1996

अध्यवसाय----BITV, और ‘The Pioneer’ में इंटर्नशिप, 1997-98
        ---- FTII में समाचार वाचन की ट्रेनिंग, 1997-98
        ----- राष्ट्रीय सहारा टीवी में पत्रकारिता, 1998—2000

 प्रकाशन---------हंस, वागर्थ, पहल, नया ज्ञानोदय, कथादेश, कथाक्रम, वसुधा, साक्षात्कार, बया, मंतव्य, आउटलुक, अकार, अभिव्यक्ति, जनज्वार, अक्षरौटी, युग ज़माना, बेला, समयमान, अनुनाद, सिताब दियारा, पहली बार, पुरवाई, लन्दन, पुरवाई भारत, लोकतंत्र दर्पण, सृजनगाथा, विचार मीमांसा, रविवार, सादर ब्लोगस्ते, हस्तक्षेप, दिव्य नर्मदा, शिक्षा व धरम संस्कृति, उत्तर केसरी, इनफार्मेशन2 मीडिया, रंगकृति, हमज़बान, अपनी माटी, लिखो यहाँ वहां, बाबूजी का भारत मित्र, जयकृष्णराय तुषार. ब्लागस्पाट. कॉम, चिंगारी ग्रामीण विकास केंद्र, हिंदी चेतना, नई इबारत, सारा सच, साहित्य रागिनी,साहित्य दर्पण आदि पत्र पत्रिकाओं में, रचनायें प्रकाशित, दैनिक भास्कर पटना में कवितायेँ एवं निबंध, हिंदुस्तान पटना में कविता एवं निबंध, हिंदिनी, हाशिये पर, हहाकार, कलम की शान, समास, गुफ्तगू, पत्रिका आदि ब्लौग्स व वेब पत्रिकाओं में, कवितायेँ तथा कहानियां, प्रतीक्षित

किताबें ----- 'कोई भी दिन' , कहानी संग्रह, ज्ञानपीठ, 2006
                  'क़िस्सा-ए-कोहिनूर', कहानी संग्रह, ज्ञानपीठ, 2008
                   'प्रिजन टॉकीज़', अंग्रेज़ी में पहला कविता संग्रह, एक्सिलीब्रीस, इंडियाना, 2013
‘डिअर सुज़ाना’ अंग्रेज़ी में दूसरा कविता संग्रह, एक्सिलीब्रीस, इंडियाना, 2014
श्री पवन जैन द्वारा सम्पादित शीघ्र प्रकाश्य काव्य संग्रह ‘काव्य शाला’ में कवितायेँ सम्मिलित
श्री हिमांशु जोशी द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘प्रतिनिधि आप्रवासी कहानियाँ’, संकलन में कहानी सम्मिलित
पुरस्कार---   राजीव गाँधी एक्सीलेंस अवार्ड 2013
पहले कहानी संग्रह, 'कोई भी दिन' , को 2007 का चित्रा कुमार शैलेश मटियानी सम्मान
 ------------'कोबरा: गॉड ऐट मर्सी', डाक्यूमेंट्री का स्क्रिप्ट लेखन, जिसे 1998-99 के यू जी सी, फिल्म महोत्सव में, सर्व श्रेष्ठ फिल्म का खिताब मिला -------------'एक नया मौन, एक नया उद्घोष', कविता पर,1995 का गिरिजा कुमार माथुर स्मृति पुरस्कार, -------------1993 में, 
CBSE बोर्ड, कक्षा बारहवीं में, हिंदी में सर्वोच्च अंक पाने के लिए, भारत गौरव सम्मान

अनुवाद----कवितायेँ मराठी में अनूदित,
कहानी संग्रह के मराठी अनुवाद का कार्य आरम्भ, 
उदयन वाजपेयी द्वारा रतन थियम के साक्षात्कार का अनुवाद,

सम्प्रति----

पत्रकारिता सम्बन्धी कई किताबों पर काम, माइग्रेशन और स्टूडेंट पॉलिटिक्स को लेकर, ‘ऑन एस्पियोनाज़’, एक किताब एक लाटरी स्कैम को लेकर, कैनाडा में स्पेनिश नाइजीरियन लाटरी स्कैम, और एक किताब एकेडेमिया की इमीग्रेशन राजनीती को लेकर, ‘एकेडेमियाज़ वार ऑफ़ इमीग्रेशन’,

3 comments:

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