Monday, January 19, 2015

मजनूं का टीला से जगमोहन साहनी -1

 जगमोहन साहनी फेसबुक पर काफी सक्रिय हैं!  वे दिल्ली में रहते हैं और व्यवसाय करते हैं!  फ़िल्मी दुनिया और संगीत के दीवाने हैं!  संभव है रेडियो पर फरमाइशी  गीतों के कार्यक्रम में आपने कई बार सुना  हो "…और मजनूं का टीला से जगमोहन साहनी"!    पुराने फ़िल्मी रोचक  किस्सों में उनकी दिलचस्पी उन्हें और बहुत से पाठकों को जोड़ती है!  इन दिनों साहनी जी 92.7 बिग ऍफ़ एम (कार्यक्रम : सुहाना सफर विद अन्नू कपूर) पर सुनाये जाने वाले किस्सों- कहानियों को फेसबुक पर प्रस्तुत कर रहे हैं!  ऍफ़ एम से नोट कर उन्हें टाइप करने और फिर पोस्ट से सम्बंधित तस्वीरें ढूंढकर लगाने में कितना भी वक़्त लगे पर जगमोहन जी ये रोचक तथ्य परोसने में खासी ख़ुशी महसूस करते हैं!  ऐसे ही कुछ किस्से स्वयंसिद्धा पर भी लगाने जा रही हूँ!  पढ़िए और जानिए फ़िल्मी दुनिया के छोटे-छोटे, छुपे-जाहिर किस्से……








आज बात एक ऐसे संगीतकार की जिनकी धुनों ने हमें दीवाना बनाया!  जिनके गीत शौहरत की बुलंदियों पर रहे लेकिन उनकी जिंदगी मुफ़लिसी व फकीरी में  गुजरी!  जी,  मै बात कर रहा हूं म्यूजिक डायरेक्टर जयदेव जी की, जिन्होंने संगीत को सिर्फ साधना समझा और बड़ी ही खामोशी के साथ अपना काम करते हुए बिना पब्लिसिटी, बिना विवाद, बिना पैसों का लालच दिखाए अपना काम करते रहे!  इन्होंने कभी शादी नहीं की और ना ही बहुत पैसे कमाए!  जो मिला रख लिया,  नहीं मिला जाने दिया!  यही वजह थी कि वह अपना मकान नहीं खरीद पाए और सारी जिंदगी किराए के मकान में गुजार दी!  घर  में ऐशोआराम का कोई समान नहीं था!  थोड़े  से बर्तन, बिस्तर, चूल्हा-चौका!  वह पानी भी मिट्टी के बर्तन में पीते थे और फर्श पर ही चटाई बिछा कर सो जाया करते थे!  जयदेव जी ने पूरी जिंदगी फकीरों जैसी गुजार दी थी!






 38 फिल्मों में लाजवाब संगीत देने वाले जयदेव पहले ऐसे संगीतकार थे जिन्हें तीन नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया!  1972 में फिल्म" रेशमा और शेरा",  1979 में  फिल्म "गमन" के लिए और  1985 में  फिल्म "अनकही" के लिए!   इनकी प्रमुख फिल्मों में "हम दोनों" "मुझे जीने दो" "किनारे किनारे" इत्यादि रहीं!  हरिवंशराय बच्चन की 'मधुशाला' जो कि मन्ना डे ने गाई उसका संगीत भी जयदेव जी ने दिया था ! 6 जनवरी 1987 को यह महान कलाकार जब इस दुनिया से विदा हुआ तो संपति के नाम पर कुछ रोजमर्रा की चीजों के अलावा एक हारमोनियम मिला जिस पर जयदेव जी अनमोल संगीत रचा करते थे!  इस गरीबी के बाद भी उनके जानने वाले बताते हैं कि जयदेव जी के चेहरे पर कभी कोई शिकन कोई परेशानी नहीं देखी! वह हमेशा बहुत शांत रहा करते थे! उन्होंनें कभी पैसों का मोह नहीं किया! 
 

हमारी तरफ से जयदेव जी को भावभीनी श्रद्धांजलि 

(सौजन्य 92.7 F. M. सुहाना सफर विद अन्नू कपूर)
जगमोहन साहनी
मजनूं का टीला



(चित्र सौजन्य : जगमोहन साहनी)



3 comments:

  1. कल 21/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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